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Tuesday, April 10, 2012

रघुनाथ मुखिया- एक सालमे तेरह महीना



आउ, आउ बाउ बैसू
बड्ड दुखी देखै छी
किछु खगता अछि की?
बाजूबाजू लजाउ नञि
एतऽ अबिते छैक खगल लोक सभ
अहाँकेँ की अछि?
बेटीक बिआह आकि बापक सराध
बेटाक अछि मूरन
वा, माथक आँखिक अछि अपरेशन
भेंटि जाइत छैक
तखन हँ अहाँकेँ
किछु जत्थाजाल
वा किछु मालजाल
अछि की नञि?
हँ, हँ अछि अपनेक आड़िमे
ब्रह्मोत्तरेमे बचल अछि पचकठबी
तखन आब ऐ कागतपर
दहक ओठाक निशान
आ, ई लैह नओ सय टका
एक सय टका
मास भरिक सूदि काटि लेलिऽ
आ हँ, सुनऽ
एहिबेर जेठ नञि टपऽ दिहक
आखाढ़ेमे मलेमास हेतै
आ, तखन तेरह मासक साल हेतै।

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