बेरोजगार लोक
आ बिनु फरै–फुलाबै
बला गाछ–बिरीछ
दुनुमे की भेद आ की समानता
मरि जाए बरू कटि जाए तँ बेजायै
की।
लोक–वेदक
कहब छनि
जे लोक नञि हरियर नोट कमाबऽ
आ नञि काया पोसबाक लेल सुन्नर फऽर
उपजाबऽ
ओकर बेगरते कोन एहि संसारमे?
हे देखु! तकनीकी शिक्षासँ
परिपूर्ण
डंकल अंकल आ चार्ल्स वॉवेजक
उत्पाद
नान्हिएटा गाछ जड़िसँ छीप धरि लदम–लद
आ खाद पानिसँ कोना तोपल अछि
आ हे एकबेर ओम्हरो देखू ओ....
बऽड़, पीपर आ पाखरिक ढ़ुठिआइत गाछ–बिरीछकेँ
जूरो शीतलमे एक ठोप भेटाइत हेतै
की नहिए
तखनो सदति टटाइत ठाढ़ अछि अनका
लेल।
आ हेओ बाबू, भैया, साहेब हजूर
ओहि बऽड़, पीपर आ पाखरिक छाँहक
सुआद तेँ
जेठक दुपहरियामे
बाट नपैते मोसाफिरे बुझैत हेतै,
नञि?
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