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Tuesday, April 10, 2012

आमोद कुमार झा - मैथिल नँइ–छोटका



नइ हइ ककरो गरज शहरे अउरमे करे हइ
बड़काबड़का पार्टी आ सम्मेलन गाम अउरमे हमरा सुहूनकेँ नइ बुझइ हइ मैथिल.. हमरा अउरकेँ बुझइ हइ छोटकागिरहत अइयग एक दिन
बजलिऐक आ बइसे गेलिऐक..
खुर्सीयेपर फज्झति कऽ कऽ
उठा देने छऽल गऽ बभना हमरा सुहून नइ बुझइगमइ हिअइ
मैथिलीहइ हमरा अउरक भाषा
सभ दिन बएह अउर बुझलकै माने विद्यापति हइ ओकरे अउरक बुझू दादापरदादा
ई युग हइ लोकक कहबी हइ दस टके नइ नितराय दस सगे नितराय नइ करइ हइ कहियो राजा लोरिकक समारोह देवता सलहेसक फंगसन कारिख पघियारक गाथा कियो कहाँ याद करइ हइ बंठा चमारकेँ.. करौक एकर परचारपरसार गामघर चौराहा अउरपर
देखियौक ने छिनि लेतइक कियो
हमरा अउरक माइक भाषा ककर बापक दिन हइ
सिर लेबइ आ सिर कटा देबइ।

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