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Tuesday, April 10, 2012

धर्मेन्द्र विह्वल - ब्रम्ह्बाबाक अवसान



सरधुवा जोनिडाहा
जानि ने कतऽसँ फेर आबि गेल
लाठि टेकि चलैत
एकटा वृद्धाक मूहसँ
अस्फूटरुपेँ किछु अक्षरक
उच्चारण भेलै
कहुना सही
हम अपना मोने जीबैत तँ छलौं
मुदा, मुदा ई जोनिडाहा
ओकर मूह अनायास बन्द भऽ गेलै,
ओ वृद्धा जे पागलि
घोषणा कऽ देल गेल छलि
ब्रम्हकथानक डिहवारक पँजरा
ओकर आश्रय बनल छल
सभ किछु नष्ट भऽ गेल
आब ई ब्रम्होल बाबा
रहताह कि नहि ?
ओकर मूहक बनैत बिगडैत आकृतिसँ
ओकर चिन्ताबक पराकाष्ठाक
अनुमान कएल जा सकैत अछि
एखन धरि तँ ब्रम्ह्बाबा जीवित छथि
आब रहताह कि नहि ?
वृद्धाक आँखि घोकचैत जा रहल छै ।

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