राजधानीक एहि रोशनीसँ
नहाएल
सड़कपर
एक
दिन हमर बेटीक हँसी
पता
नै कतऽ गुम भऽ गेलै
हमरा
गामक रामधन काकाक
बुढ़ौतीक लाठी
एहि
महानगरक भीड़मे
हेरा गेलै महामहिम जी
आ
अपन हाल की कही
गामसँ चलैत काल एगो उम्मीद
एगो सपना लऽ कऽ आयल छलहुँ
हम एहि महानगरमे
पता नहि राति-दिनक भागम-भाग
आ हलतलबीमे ओहो सपना हेरा गेल
हे महामहिम जी,
सुनै छिऐ राजधानीक पुलिस
बड्ड माहिर होइ छै
हमरासन अदना लोककेँ तँ बातो नै सुनतै
कने अहीं खोजबा दिअ ने
हमर बेटीक हँसी
रामधन काकाक बुढ़ौतीक लाठी
आ
हमर ऊ सपना जे लऽ कऽ आयल रही
हम
राजधानीमे...
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