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Sunday, April 8, 2012

नजरि‍ :: जगदीश मण्‍डल


नजरि‍

आँखि‍ पुछलक-
दीदी, सभ कि‍छु देखि‍तो,
कि‍छु ने देखै छी।
कलपैत मन देखि‍
भरि‍-भरि‍ दि‍न कनै छी।
नजरि‍क उत्तर-
सगतरि‍ तँ फूल छि‍टाएल-ए
गुणसँ भरल-पुरल।
रस चुसैक ज्‍योति‍ बनाउ
भेटत तखने मीठका फल।

))((

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