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Saturday, April 7, 2012

प्रीतक गीत, गामक नारी, पि‍यासल धरती :: रामवि‍लास साहु


प्रीतक गीत

फागुन मास हमर बि‍तए यौवनमा

हमर दुख कहि‍या हरत सजनमा

गौना कराए लि‍अ एबकी फगुनमा

आमक गाछपर बैसल कोइली

प्रीतक गीत सुनबए एबकी फगुनमा

चैत मास जेना टपकै महुआ

ओहि‍ना टपकै हमर यौवनमा

सावनक मेघ भि‍जबए बदनमा

बि‍जली चमकए बादल बरसै

देहसँ छुटै पसि‍नमा

बरखा बरसै घनघनमा

पि‍या बनल अछि‍ बैमनमा

ऊमड़ल नदि‍या, दरद जगाबए

दरदक दुख केना केकरो कहबै

आबि‍ते सजनमा दरद हरि‍ लैत फगुनमा

गौना कराए लि‍अ एबकी फगुनमा

प्रीतक गीत सुनबै छी सजनमा।

गामक नारी

मन्‍द–मन्‍द हवा सि‍हकए
फूलक पंखुरी झरि‍-झरि‍ गि‍रए
छने-छन मौसम बदलए
कखनो रौद कखनो छाह पड़ए
बि‍नु वसन्‍त बहार बनए
खेतक आड़ि‍पर गामक नारी
कन्‍याँ-बहुरि‍आ नवतुरि‍आ
फाँढ़ बान्‍हि‍ खेतमे काज करए
भूलल-बि‍सरल सोहर-समदौन
बि‍रहा-वि‍देशि‍या गीत गाबए
बाट-बटोही सुनि‍-सुनि‍
बाट भूलि‍ लजाइ छलै
कहैत बाट चलैत छलै
गामक नारी-
देशक छी हि‍तकारी
देशक ि‍नर्माणमे
करैत अछि‍ साझेदारी।

पि‍यासल धरती

पि‍यासल धरती तड़सि‍ रहल अछि‍
काल-कोठरीमे छि‍पल बदरि‍या
धरती सूखि‍ दड़ारि‍ पड़ल अछि‍
सूखि‍ दुबैक कमजोर पड़ल अछि‍
गरमीसँ हाहाकार मचैए
चि‍ड़ै-चुनमुल मुँह खोलि‍ बैसल अछि‍
घास-पात सूखि‍ जड़ैत अछि‍
चास जड़ैक देखि खेति‍हर
माथपर हाथ लऽ सोचि‍ रहल अछि‍
पानि‍-बि‍नु जि‍नगी तड़पि‍ रहल अछि‍
माल-जाल भटकि‍ मरि‍ रहल अछि‍
पोखरि‍-झाखरि‍ डबरा-नदी सूखि‍ रहल अछि‍
नाओं-नि‍शान मि‍ट रहल अछि‍
सूखि‍-सूखि‍ धरती फाटि‍ रहल अछि‍
पि‍आसल धरती तड़सि‍ रहल अछि‍
ि‍नर्दय छल मेघ मुदा दयावान भेल
गरजैत-बरसैत कारीमेघ ऊमरल
पानि‍ बरि‍सल घन-घोर
भाटल दरारि‍सँ-
बेंगक बरि‍याती सजि‍ नि‍कलि‍ पड़ल
सभरंगा गीत उछलि‍-कुदि गाबए लगल
कारी मेघ झुमि‍-झुमि‍ बरसि‍ रहल अछि‍
धरतीक पि‍आस मरि‍ रहल अछि‍
धरतीक पि‍आस मरि‍ रहल अछि‍।

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