पपीहाक गीत
सुनिते गीत पपीहा केर
धड़-धड़ धड़कन धड़कए
षटरस स्वर लहरीमे
चारू-दिशा सदि छलकए।
धरती अकास बीच सदए
जल-थल सिरजन करैए
कानि-अकानि बीच सदए
हँसि-गाबि देखबैए।
सानि सिनेह सदए सिरजि
नयन नीर ढुलकैए
रहितो धाराक धार संग
रूप अपन सजबैए।
रंग-रूप सिरजि सदए
शिखर-सौदर्य चढ़ैए
देखि देखि बिहिया बिहुँसि
आनि अपन जगबैए।
प्रेम प्रेमिक रूप देखि
जमुना बीच सौभरि जेना
पबिते प्रकाश पूनमक
चढ़ि ऊपर आबए तेना।
आनि जानि धार बीच
हेलैत-डुमैत चलैए
जीवन-मरणक लीला यएह
सभकेँ सभ देखैए।
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