सम्बन्धक कोनो सूत्र
नहि राखऽ चाहै छी बान्हल अहाँक संग
रत्ती–रत्ती छहोछित्त कऽ
मुक्त होएबाक होइछ इच्छा
एकटा खूजल परिसरमे
विचरणक अप्पन फूट आनन्द होइछ ।
मुदा अहाँक संग हमर सम्बन्धक
नव–नव परिभाषा
खोजबाक हमर इच्छाक ।
हमरा फेरसँ झटिआ देलक अछि
हम अपने घरक बाट
बिसरल जा रहल छी ।
की अछि अहाँक संग सम्बन्धक सूत्र
जतेक तोड़बाक कएल जाइछ प्रयत्न, प्रयास
ततबए झमटदार भऽ आँखिक आगू
भऽ जाइछ ठाढ़
आ देखलो बाट हेरा जाइछ
आगू रहि जाइछ अहाँक
मात्र अहाँक मूह आ
राग–अनुरागसँ
तर–बतर भेल
सम्बन्धक मजगूत सूत्र
आब तँ लाज लागल अछि
मुक्तिक हमर इच्छो
मात्र लौलक रूपेँ कएल प्रयास अछि ।
हम तँ कहिया नहि
मन्दिरमे भजन करबा लेल
स्वयंकेँ प्रस्तुत कऽ चुकल छी ।
No comments:
Post a Comment