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Tuesday, April 10, 2012

सुनील कुमार मल्लिक - घड़ी


घड़ीमे
घण्टाेक सूइसँ बेसी
मिनटक सूइसँ बेसी
सेकेण्डक सूइ चलै छै
मुदा
कतेक अनसोहाँत लगै छै
जे
सेकेण्डसँ बेसी मिनटक
मिनटसँ बेसी
घण्टाक मान भऽ जाइ छै
अहाँ खूब दौड़ धूप करै छी
अहाँक मगजसँ
पसेनाक पमार बहैत रहैछ ।
माने, अहाँ खूब चलायमान छी
मुदा,
घण्टाक घुसकुनियाँ जकाँ
अहाँक मालिकक मान
बेसी बढ़ि जाइ छनि
एना किएक ने होइ छै
जे चलबो अहीं बेसी करितौं
मान सेहो अहींक बेसी रहैत !

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