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Saturday, April 7, 2012

आकि‍ नीन टूटि‍ गेल :: बलराम साहुक


आकि‍ नीन टूटि‍ गेल-

काजक थाकल
वि‍चारक मारल
आ चि‍न्‍ताक टूटल
ओछाइनपर रही पड़ल
आँखि‍ लागि‍ गेल
देखलौं एकटा सपना
आकि‍ नीन टूटि‍ गेल।

सपना छल वि‍चि‍त्र
देखलौं जे गामक रधि‍या
जे अछि‍ दैवक मारल मसोमात
ओकरा भेटलै इन्‍दि‍रा आवास
ओहो बि‍ना घूसकेँ
आकि‍ तखने हमर नीन टूटि‍ गेल।
गाममे भेलै मारि‍
चलल लाठी आ फरसा
भेलै लठम-लठ
जाति‍-जाति‍क एकता
बैसल एकटा पंचैती
और हाकि‍म-दरोगा मि‍लि‍
सबटा झगड़ा मेटा देल
आकि‍ हमर नीन टूटि‍ गेल।

जखन नीनमे नि‍नवासले रही
पढ़ल-लि‍खल बेटा
करैत छथि‍ बापक सेवा
पढ़ल पुतोहू करैत रहथि‍
सासुक उत्‍कृष्‍ट सेवा
भाय-भायमे छल मि‍लानी
जाबत देखतौ आगू की भेल
ताबत हमर नीन टूटि‍ गेल।
गामक बेटी पढ़लक-लि‍खलक
गरीबीसँ लादि‍ लेलक बी.ए.क डि‍ग्री
बगलक गामक मास्‍टर साहेबक
बेटा सेहो बनल हाकि‍म
आ बि‍ना दहेजक दुनूक
वि‍याह भऽ गेल
आकि‍ ताबत हमर नीन टूटि‍ गेल।
यौ समाज की होएत

हमर सपना साँच कहि‍यो

कि‍एक तँ हमर नीन टूटि‍ गेल।

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