ओ कंठ मोकि हँसाबैए
मुक्कासँ कटहर पकाबैए।
जुनि माँगू पानि मुखिया–सरपंचक
दालानपर
ओ देशी दारूक धार बहाबैए
पंचायती राजक विकासपुत्र कहेबा
लेल
मनुक्खक सूखौंत बनाबैए। ओ
कंठ....
काल्हि कथीक पंचैती होएत
तकर जोगार आइये लगाबैए
जौं जोगार नञि लागल तँ
निचेन बैसल मनुक्खपर अपन
हुलाबैए। ओ कंठ....
पंचैतीसँ पहिनहि
जे दारू आ मनुक्खक साना
पहुँचाबैए
ओ आँखि मुनिकेँ सुति रहैत अछि
आ सरपंच, एक तरफा फैसला सुनाबैए।
ओ कंठ....
सौ दिनक रोजगारक कार्ड
दुइ–चारि
टकामे बिकाबैए
जे किओ नञि देलकै निशान
ओकरा बीच्चे सड़कपर सदस्य सभ
मुकियाबैए। ओ कंठ....
तेखगर जनताक मुँह बन्न करबा लेल
जोरगर लोकसँ पहरेदारी कराबैए
कमीशनक मोट रकम केर वास्ते
सड़कमे तीन नम्बरा ईंटा लगाबैए। ओ कंठ....
मजाल अछि जे किओ करताह विरोध
सोलहो पंच चमेटा देखाबैए
जौं फूजल मुँह अहाँ केर
बत्तीसे हाथक बीच कंठ धराबैए। ओ कंठ....
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