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Sunday, April 8, 2012

संगी :: जगदीश मण्‍डल


संगी

संगे-संगे एलौं
संगि‍या मरि‍ गेल
हम भुति‍आइ छी।
संगे अबैत मि‍लि‍
ठेसि‍या गेलौं बाट
संगि‍या छूटि‍ गेल।
हम भुति‍आइ छी।

अचेत भऽ पूब मुहेँ
पथराएल नयन नि‍ष्‍प्राण
बाटे लसि‍या गेल।
हम भुति‍आइ छी।
आगू-सँ-पाछू
नोचि‍ खाइले प्राण
मर्ड़ाइत रहैए।
कोइ भुति‍या बना बाट
तँ कोइ बहटि‍-बहटि‍
पेटे वि‍लाइए।
हम भुति‍आइ छी।

कोइ खुनि‍ नि‍रमा
नव बाट-घाट
तँ कोइ घाटे बौआइए।
हम भुति‍आइ छी।
पि‍छड़ि‍-पि‍छड़ि‍ खसि-खसि‍‍
लतखुर्दन बनल छी
चारू कात घुरि‍-घुरि ‍‍
टुक-टुक देखै छी
चौदहो भुवनक बाट
चलैत चौदहो दि‍स
कोन बाट पकड़ि‍
देखब चौदहो दि‍स।
संगि‍या मरि‍ गेल
हम भुति‍आइ छी।

))((

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