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Sunday, April 8, 2012

बेरोजगारी :: जगदीश मण्‍डल


बेरोजगारी

राँड़ कानए अहि‍वाती कानए
तइ संग बर-कुमारि‍ कानए जेना।
रोजगार कानए बेराेजगार कानए
हि‍बडि‍ब करैत सरकार कानए तेना।
बेरोजगारसँ देश भरल छै
बौस बि‍ना कंगाल बनल छै।
तइ बीच रोजगारे हराएल
तमसगीर तमाशा देखि‍ रहल छै।
सभ छी शुभचि‍न्‍तक देशेक
सभ वि‍चारक संग नेता छी।
मुसहर बीच मूस हराएल
धीया-पुता खेतै की?
दि‍शाहीन रोजगार बनल छै
रंग-बि‍‍रंगी दुनि‍याँ बनल छै।
कतौ पेन्‍शनधारीक रोजगार
तँ कतौ करैबला बेरोजगार।
जाधरि‍ दुनू दि‍शा मोड़ि‍
डोरीसँ नै गतानब।
सुतल सपना अधनीनामे
दि‍न-राति‍ देखैत रहब।
पाँच हजारक नोकरीमे
मोबाइल गाड़ी ओ चौक-चौराहा
खुशी-खुशीक जि‍नगी बना
गोधन दि‍न लि‍अ हुरि‍याहा।
    ))((

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