गीत
अपना गतिये सबहक जिनगी
पग परीक्षा दैत चलै छै।
तीत-मीठ सुआद सिरजि
राति-दिन कहैत चलै छै।
पग-पग परीक्षा दैत चलै छै।
कखनो मीठ महकि-महकि
बिगड़ि तीत बनए लगै छै।
तहिना तीतो तड़पि-तड़पि
सुआद मीठ दिअए लगै छै।
पग-परीक्षा दैत चलै छै।
पल-पल, छन-छन छनि-छनि
राति-दिन बनए लगै छै।
शंख संग नाद भरि-भरि
शंखनाद दिअए लगै छै।
पल-पल नाद भरए लगै छै।
पग-परीक्षा दैत चलै छै।
कौरव-पाण्डव बीच जहिना
शंखनाद कृष्ण करै छै।
काया-माया बीच संसार
लट-पट, हट सट
करए लगै छै।
पग, पएर, पग धड़ए लगै छै।
पग परीक्षा दैत चलै छै।
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