बौड़ाएल बटोही
जहिना कोबर कनियाँ-नुकाइत
तहिना बाटो नुकाएल छै।
अछैते घरमे रहितो रहैत
नजरिसँ कतियाएल छै।
चुटकी बजा जेना कनियाँ
तहिना धकचुकबए बाटो बटोही।
आँखिक सोझ रहितो रहैत
पाबए ने थाह राही-बटोही।
दिन-राति चलितो-चलैत
देखए ने कखनो खुजैत कपाट।
पट्टामे पट्टा सटि-सटि
सदिखन बन्न रहैत दुआरि।
आठो पहर दिन-राति घुमै छै
देखि ने पबैत पड़ाएल पथिक।
कखैन केम्हर घुसुकि-फुसकि
पाबि ने पाबए पथ पथिक।
बन्न आकि खुजल केवाड़
नुकाएल नजरि नै ताकि पबैत।
संगे-संग चलितो चलैत
ठेल-ठेल सदिखन कतियबैत।
बिनु देखल अनभुआर कहबैए
देखिनिहार कहबै छै भू-आर।
अनुभुआर भुआर बीच
सदएसँ होइत आएल करार।
अपन-अपन सभ लुरिये-बुधिये
जनम लैत धरतीपर।
माए-बापक पुन-परसोदे
पबैत पथ पृथ्वीपर।
अद्भुत खेल खेलैये दुनियाँ
दुनियाेक भरमार छै।
जेहने खेल खेलेनिहार खेलाड़ी
हारि-जीत पड़ाइत छै।
ऊपर-निच्चाँ सिर ससरै छै
कतौ निच्चाँ कतौ ऊपर।
होनी-अनहोनी कहि-सुनि
बदलि खसैत धरतीपर।
सात तल जहिना छै ऊपर
तहिना नीच्चोँ निचियाएल छै।
शिखर पहाड़ चढ़ैले
बाटो-घाट ढेरियाएल छै।
बाटे बीच बटोही बनि-बनि
बाटे-बाट बौआइ छै।
हँसैत-खेलैत चलैत
साँझूपहर ठेहियाइ छै।
कियो जाए चाहए सुरलोक
स्वर्गक बास कियो चाहए।
कियो चाहए बैकुण्ठ जाइले
तँ कियो जाहै गौलोक।
बाटे बिला बुइध
बाटे बिसरि गेल।
जेम्हरे जे चलल
तेम्हरे पहुँचि गेल।
छूटि गेल मनोकामना
छूटि गेल कामनाक भूमि
कामनो कमि-कमि
छिछलि गाबए झूमि-झूमि।
))((
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