Pages

Tuesday, April 10, 2012

योगानन्द झा- घर




भीतेटा चहकल नहि सगरो
चारो धरि उजड़ल अछि
यैह हमर घरक थिक नकसा
हृदय हमर टूटल अछि

कहिया धरि आशापर जीबइ
कहिया धरि सपनामे
भाग्य-भरोसे निर्यात कते दिन
लड़ब-कटब अपनामे
एहन दशा सभ घरवासीक
जनु भाग्ये फूटल अछि
यैह हमर घरक थिक नकसा
हृदय हमर टूटल अछि

जकरा जेम्हरे अवसर भेटल
कयलक लूट-खसोट
अपन-अपन कऽ सभ अछि चिन्तित
सबहक मनमे खोट
चालनि जे बनि गेल स्वयं
से सुपहुकेँ दूसल अछि
यैह हमर घरक थिक नकसा
हृदय हमर टूटल अछि

स्वार्थक मदमे सभ अछि मातल
अनकर की परवाहि
कहिया धरि ई खतम भऽ सकत
दलित-पीड़ितक आहि
कुकुर-कटाउझ मचल दहोदिश
ओत्तहि सभ जूटल अछि
यैह हमर घरक थिक नकसा
हृदय हमर टूटल अछि

मन्दिर-मस्जिद रण-प्राङन अछि
धर्मक ककरा ध्यान
सबहि सुखी सभ रोगमुक्ता नहि
भारत कोना महान
सन्तति सभ एहि घरमे एखनो
अलस पड़ल सूतल अछि
यैह हमर घरक थिक नकसा
हृदय हमर टूटल अछि
केओ नृप होय हमे का हानी
कखनो ई संवाद
हमर जातिक लोक थिका ई
कखनो उठय विवाद
गमलक नहि मधु-ऋतु शिशिरोमे
अन्तर, कतहु कुशल अछि
यैह हमर घरक थिक नकसा
हृदय हमर टूटल अछि
कालक नहि लीला ई सभ थिक
ब्रहमक नहि थिक माया
ई करनी मानव-दानवक
भोग-वृत्तिक छाया
संघर्षक आह्वान करी तँ
कर्म कतहु रूसल अछि
यैह हमर घरक थिक नकसा
हृदय हमर टूटल अछि

ताकि रहल छी माटि राष्ट्रक
माटिक सोन्ह सुगन्ध
संस्कृति आ संस्कार अपन
पुनि परम्परित अनुबन्ध‍
स्वर्णमुकुट धरणीक कहिया
ककरोसँ झूसल अछि
यैह हमर घरक थिक नकसा
हृदय हमर टूटल अछि
पर-पड़ोसी फूट देखि घर
लुटबा लय तैयार
कखन करय के नहि जानी
जयचन्द सरिस व्यवहार
विश्व भरिक चोरा मुँह बओने
परिखा लग जूटल अछि
यैह हमर घरक थिक नकसा
हृदय हमर टूटल अछि

No comments:

Post a Comment