Pages

Wednesday, April 11, 2012

फुलबति‍या :: जगदीश मण्‍डल


फुलबति‍या

फूल देखि‍ फुलाइत जेना
मालि‍क दल-दल फुलवाड़ी
तहि‍ना देखि‍ फुलबति‍या
जुड़ाइत पि‍ताक बखारी।

आशा आस उगा अंकुड़ा
सुरकुनि‍याँ दऽ दि‍न-राति‍ चलए
फड़ देखि‍ देखि‍ जि‍नगी
सुख-संतोष सहजि‍ धरए।

करए समर्पण फूल जहि‍ना
प्रेमी जि‍नगीक बाट
देखि‍ प्रेमि‍क प्रेम तहि‍ना
बि‍हुँसए सदए सरोवर घाट।

प्रेमी प्रेमि‍काक बीच सदए
जीवन धार बहै छै
चान सूर्ज बीच सदए
क्षण-पल संग चलै छै।

तपल जि‍नगीक तापसँ
ति‍याग उछलि‍ कुदैत‍
दुनि‍याँक रंगमंचपर
लीला सदि‍ देखबैत।
   ))((

No comments:

Post a Comment