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Tuesday, April 10, 2012

निमिष झा- बुद्ध आ आतंक


 अणु बमक विस्फोटक बाद
भयाउन वातावरणमे
आत्माक शान्ति नहि ताकू।

रक्तपातक बाद, शून्य आकाशमे
खुशीक चुम्बन नहि करू ।

ओ अहाँक गलती हएत, महान
रणभूमिमे
विश्वि शान्तिक नारा लगाएब ।

ओ अहाँक गल्ती हएत
तोपक गोलामे
भातृत्वक सन्दे‍श ताकब ।

घृणा आ स्वार्थक सागरमे
विश्व आ बन्धु्त्वक शंखघोष किए करै छी
हिंसा आ आतंकक बीच
गौतम बुद्धक सन्देश
पनिसोह रहत ।

अपन फुसियाहिंक आर्दशकेँ
कृत्रिम रूपेँ नहि झाँपू
समए बड्ड आगाँ बढ़ि गेल अछि।
स्वार्थी आ व्यक्तित्व‍वादी समाजमे
कृत्रिम आदर्शक बीजारोपण नहि करू
अहाँक आदर्श सभ
कालान्तरमे
अहींकेँ डसि लेत।

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