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Tuesday, April 10, 2012

स्व. प्रशान्त - करू की वृद्ध अथबल छी



पूर्णियाँ कवि स्व. प्रशान्तक कविता

करू की वृद्ध अथबल छी
पित्त तँ चढ़ैत अछि बहुतो
करू की वृद्ध अथबल छी

सुदमिया माय जे आयल छलि
नैहरसँ महफापर चढ़ि कऽ
तनिका साइकिलपर चढ़ि देखि
सड़कक कातमे दुबकल छी
करू की वृद्ध अथबल छी

नवका पैसा सन बुधियार बनि
चमकैत अछि छौंड़ा!
पियरक्का दुअन्नीसँ अकार्य भेल
बैसल छी-
करू की वृद्ध अथबल छी

मोकामा पुल बनि गेने
सिमरिया घाटक स्टीमर जेकाँ
अकार्य भेल बैसल छी
करू की वृद्ध अथबल छी

पित्त तँ चढ़ैत अछि बहुतो
करू की वृद्ध अथबल छी

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