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Tuesday, April 10, 2012

संदीप कुमार साफी - भकजोगनी



भुकुर-भुकुर बत्ती बड़ै
राइतक अन्हरियामे
हाथ-हाथ नै सुझैए
जेबाक अछि टोलपर

कुक्कुर भुकैए झाउ-झाउ-झाउ
साँझक बजैए छअ
हाथमे नै अछि लाठी-ठेंगा
नरहिया करैए सोर

मैइझला बाबा गबैए निर्गुण
तमाकुलपर मारै चोट
बौआ कनैए भगजोगनी लए
बड़ैए चाहूँ ओर
पकड़ रोउ, भुल्ला, होकवा
ठहा- ठहैइ अन्हरियामे लुत्ती
नेने माथपर नारक आँटी
थरथराइ छी हम पछुआरमे

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