Pages

Wednesday, April 11, 2012

बाढ़ि‍मे सभ :: जगदीश मण्‍डल


गीत

बाढ़ि‍मे सभ कि‍छु दहा गेल,
मीत यौ, बाढ़ि‍मे सभ कि‍छु दहा गेल।
मुँह-दुआरि‍ परदा दहा गेल
दहा गेल सभ कुटुम-परि‍वार
हि‍त-अपेछि‍त सेहो भसि‍या गेल
भसि‍ गेल सभ अाचार-वि‍चार।
बाढ़ि‍मे सभ कि‍छु दहा गेल
मीत यौ, जि‍नगीक संग जि‍नगी हरा गेल।
गुल्‍ली–डन्‍टा खेल दहा गेल
दहा गेल दुआर दुआरधार
चि‍न्‍ह पहचि‍न्‍ह सेहो दहा गेल
कखनी घुमतै दुआर-दुआरधार।
कानि‍ कलपि‍ केकरा के कहबै
अपने बेथे सभ बेथाएल।
सुनत केकर के दुख नचारी
अपने मनमे सभ बौड़ाएल।
मीत यौ, बाढ़ि‍मे सभ कि‍छु दहा गेल।
         ))((

No comments:

Post a Comment