सुनै छियै जे
हमरो गाममे जमींदार सभ रहै
खूब पैघो नञि तखन रहै तँ
जमींदारे
ओ अपन सिपाही आ मुँह लगुआक संगे–संग
अठबारा छोटकाक टोलपर घुमै लऽ आबै
आ जाहि टोलपर आबै
बुझू जे पूरा टोले डोलमाल
ओ डोलमाल कोनो बाढ़ि आ भूकंपसँ
नञि
मालिकक छुछन्नरि चालिसँ होइत छल
मालिक बेधड़क ककरो आँगन घुसि
ककरो बौह, बेटी आकि पुतोहूएसँ
कहैत रहै जे
हे गे फलनाक बौह, फलनाक बेटी,
फलनाक पुतोहू
उघार, उघार, उघार
*तोहर पएर बड्ड सुन्नर छौ
तँ ओ कतेक सुन्नर हेतौ
आ कनियो बिलमि गेलापर
दुनुटा सिपहिया
हुनक तनक वस्त्रकेँ उपर उठा दैत
रहै
आ मालिक अपन दुनु हाथसँ
कोनो–कोनो
अंगकेँ मीड़ैत
निर्लज्जताक आँखिसँ निहारैत
पतित मुँह लगुआक संग खिलखिलाइत
आँगने–आँगने
छिछियाबैत रहै
आ टोलक–टोल
पुरूखक शोणित जमल जाइत रहै।
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