कोना अजुका दिन ससरतै, राति कटतै हओ भजार
एक–एकटा
पल हमरा लेल सूनामीक प्रहार
बिसरि गेल छी मोन पछिला बेर कहिया खुश भेलहुँ
डाकिया आइयो ने आनलक अछि कोनो खुशखबरीक तार
ई महाजन, ऊ महाजन, नञि कतहु अछि रामबाण
बाण बेगरताक अछि भोंकल करेजक आर–पार
यओ अन्हारक दास! आबहुँ संततिक हित कामनासँ
बजरगुम्मी तोड़ि, करू किछु आगि बारैक जोगार
पीड़ासँ लड़बाक लेल राखए पड़त निजपर भरोस
पीड़ हरए के लेल नित्तह नञि एताह कोनो औतार
आधा–छिछा
रहि जाइछ ‘अरबिन’ जीवनक सभटा गजल
ओझरल रदीफो–काफिया आ माथ पर मिसरा सवार
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