Pages

Tuesday, April 10, 2012

सुबोध ठाकुर - हम गामेमे रहबइ



रही दूर अपन माटिसँ मेनेजर रहि-रहि कलुशय
छोड़ि अपन गाम मन रहि-रहि बिहुसए
ओ सुन्दर मनभावन पोखरिक घाट
ओ वसंत आर सावनमे सुन्दरि पाबनिहारनिसँ सजल बाट-घाट
बगियामे सदिखन कोइली कूकए
रही दूर अपन गामसँ मेनेजर रहि-रहि कलुशय

अछि सुबोधक कामना, जुनि करू दूर आब पुत्रकेँ माँ
अहींक सानिध्यमे रहए लेल मन तरसए,
छोड़ि अपन गाम मन रहि-रहि बिहुसए।

No comments:

Post a Comment