रही दूर अपन माटिसँ मेनेजर रहि-रहि कलुशय
छोड़ि अपन गाम मन रहि-रहि बिहुसए
ओ सुन्दर मनभावन पोखरिक घाट
ओ वसंत आर सावनमे सुन्दरि पाबनिहारनिसँ सजल बाट-घाट
बगियामे सदिखन कोइली कूकए
रही दूर अपन गामसँ मेनेजर रहि-रहि कलुशय
अछि सुबोधक कामना, जुनि करू दूर आब पुत्रकेँ
माँ
अहींक सानिध्यमे रहए लेल मन तरसए,
छोड़ि अपन गाम मन रहि-रहि बिहुसए।
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