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Tuesday, April 10, 2012

डा. सुरेन्द्र लाभ - इतिहास



अबाजक समुद्र
हल्लाक ज्वारभाटा
अनन्त..............
अनन्त कालसँ होइत पुनरावृत्ति
पुनरावृत्ति बनैछ इतिहास
हल्लाक इतिहास।

ध्वनिक अंकमे
समाहित लोक
मुक्त होएबाक हेतु
व्याकुल लोक!

आवाजहीनता!
शब्दहीनता!
मौन !
स्ततब्ध !
एकटा स्व‍प्न‍
दिवास्वप्न भऽ गेल अछि।

इतिहाससिंहासनक हो
वा हो संघर्षक
इतिहास दानवक हो
वा हो मानवक
सभ इतिहास
हँ प्रत्येकक इतिहास
हल्लाक इतिहास थिक ।

हल्लेरहल्‍लासँ भरल
जतए शून्येताक अभाव थिक
शान्तिक अभाव थिक
हँ, प्रत्येकक इतिहास
हल्ला िक इतिहास थिक ।
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