कॉमन सेन्स
बाबूजी, कॉमन सेन्स ककरा कहै छै
फड़िया कऽ सिखा दिअ।
आइये इस्कूलमे सीखलौं
परिवारोमे बुझा दिअ।
घुसकबैत मुस्की घुसका पिता
चारि मोतीकेँ आठ बनौलनि।
ने अद्दी-गुद्दी आ ने अजोह
मुस्कुराइत गुरु मुँह खोललनि।
जिज्ञासासँ मुँह उठा पुत्र
लोलक-बोल सुनए चाहलक।
जहिना लोलमे बोर पड़ै छै
तहिना अजोध शब्द उठौलक।
झपसि पिता जिज्ञासा पुत्रक
बरसौलनि शीतल अश्रुकण।
कॉमन सेन्ससँ पकड़ि
अजोधक केलनि पोस्ट-मार्टम।
एक पुत्र जनमै बीस बर्खमे
क्रमश: जनमै अन्त पचास।
की दुनूक बीच दुरियो हेतै
अही प्रश्नमे हएब पास।
))((
No comments:
Post a Comment