बाढ़िक सनेस
जँइ नहाए कोसी जाइ छी
जाइ छी कमला घाट।
अपने फुड़ने आबि-आबि
धो-धा देखा दैत बाट।
हँसि-हँसि घरसँ निकलि
खोंछि भरने एली।
मुट्ठिये-मुट्ठी बाँटि-बाँटि
गामे-गाम बिलहि देली।
खोंछिक सनेसो तेहने
ठेंगी, खच्चरलत्ती ओ हराशंख।
हराशंखो तेहने गढ़ल छै
ने छी डाेका ने छी शंख।
खच्चरलत्तीक खचरपनीसँ
तंग-तंग होइए किसान।
काटि फेकब जतए ततएसँ
मोछ टेरैत देखबए शान।
गाछी-बिरछी, दिशा मैदानक
रोकैक ठीका ठेंगी लेलक।
खेत-पथार टहलि-टहलि
वोन-झाड़ सेहो अपनौलक।
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