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Saturday, April 7, 2012

क्रांति‍ दीप :: संजीव कुमार ‘शमा’

क्रांति‍ दीप

आउ क्रांति‍वीर बनि‍ मि‍थि‍लाकेँ बचेबाक लेल

जड़ाउ क्रांति‍ दीप जतए भूमि‍ अछि‍ रहबाक लेल।

ति‍ल-ति‍ल समैकेँ पकड़ि‍ जे हाथसँ नै ससरए

एकताक ठोसगर मापदंड अपन एतए नै फूटए

मैथि‍लीक प्रचार, जन-जनकेँ जगेबाक लेल..्

बड्ड भेल! आब कते काल धरि‍ बेइज्‍जत होइत रहब,

माँ मि‍थि‍लाकेँ आजाद कराएब से संकल्‍प दोहराबैत रहब,

चलू चलल फि‍रङ्गी चालि‍केँ, मि‍टेबाक लेल...

बजा देने छथि‍ बैजूबाबू वि‍जयक बि‍गुल, भीषण हंुकार जकाँ,

मचि‍ गेल अछि‍ शोर चहुँदि‍श, स्‍वतंत्रताक पुकार जकाँ

आगूमे जे ठाढ़ अछि‍ पहाड़, चलू खसेबाक लेल

डरपोक बनि‍ कतेक काल धरि‍ डरल रहब

आब कहि‍आ भट्ठीक आगि‍ जकाँ धधकब

धधकल छथि‍ शमा मि‍थि‍लांचलक दीप जड़ेबाक लेल।

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