मिथिला केहेन
अहीं कहू भाय मिथिला केहेन?
सभ दिन कमला-कोसी डुमलौं
अन्हर-बिहारि, दानो-दुख सहलौं
कानि-खीज संगे-संग रहलाैं।
किसान-बोनिहारक वंश गढ़ि
धरती-अकासक बीच खेलेलौं।
आबो बुझियो मिथिला केहेन
अहीं कहू भाय मिथिला केहेन?
पसरि चौर करमीक लत्ती
बुइधिक वृक्ष सजौलक।
नैतिकताक फल-फूल सजा
हँसि-गाबि जीवन पौलक।
जगत-जननी, जनक-जानकीक
मिथिलाक तस्वीर जेहेन
आबो कहू भाय मिथिला केहेन
अहीं कहू भाय मिथिला केहेन?
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