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Sunday, April 8, 2012

भभूत :: जगदीश मण्‍डल


भभूत

लगि‍ते चाइन बाबाक भभूत
चेलबा हँसि‍-हँसि‍ बाजल।
छाउर केना भभूत बनि‍
छजनीपर जा अँटकल।
सुनि‍ते चेलबाक पेटक बात
पेट खोलि‍ आसन लगौलनि‍।
आँखि‍ खोलि‍ नजरि‍ मि‍ला
प्रभुताक दर्शन करौलनि‍।
जि‍द्दी चेलबा मानता ओहि‍ना
प्रभुताक परमान मंगलकनि‍?

पैरूख नाअों प्रभुताक कहि‍
झटपट अपन जान छोड़ैलनि‍।
जि‍द्दी कि‍ जि‍द्दी चेलबा छी
पैरूखक परमान मंगलकनि‍?
सामर्थ कहि‍ आँखि‍ घुमा
चटपट अपन काज ससारलनि‍।
नमड़ी जि‍द्दी जेहेन चेलबा हुअए
तइसँ कम की बाबाक चेलबा
तड़पि‍-चेलबा लग आबि‍
समर्थकक परमान पुछलकनि‍।
शक्ति‍ समर्थकक उत्तर दऽ
मुँह मारि‍ बाबा बैसलाह।
बोलती बन्न देखि‍ बाबाक
डुमकी दैत चेला डुमलाह।
     ))((

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