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Sunday, April 8, 2012

चल रे जीवन :: जगदीश प्र. मंडल


चल रे जीवन

चल रे जीवन चलि‍ते चल।
संगी बनि‍ तूँ संगे चल
जौवन चल जुआनी चल
जि‍नगानी संग मर्दगानी चल
चि‍ंतन संग दि‍लेरी चल।
चल रे जीवन चलि‍ते चल।

यात्रीकेँ आराम कहाँ छै
यात्रा पथ वि‍श्राम कहाँ छै।
ओर-छोर बि‍नु जहि‍ना जि‍नगी
तहि‍ना ई दुनि‍यो पसरल छै।
पकड़ि‍ मन तूँ चलि‍ते चल।
चल रे जीवन चलि‍ते चल।
ग्रह नक्षत्र सभटा चलै छै
सूर्ज तरेगन सेहो चलै छै
दोहरी बाट पकड़ि‍ चान
अन्‍हार-इजोतक बीच चलै छै।
देखा-देखी चलि‍ते चल।
चल रे जीवन चलि‍ते चल।

बाटे-बाट छि‍ड़ि‍याएल सुख छै
संगे-संग बि‍टि‍याएल दुख छै।
काँट-कुश लहलहा-लहलहा
गंगा-यमुना धार बहै छै।
परखि‍-परखि‍ तूँ चलि‍ते चल।
चल रे जीवन चलि‍ते चल।
कि‍छु दैतो चल कि‍छु लैतो चल
कि‍छु कहि‍तो चल कि‍छु सुनि‍तो चल
कि‍छु समेटि‍तो चल कि‍छु बटि‍तो चल
कि‍छु रखि‍तो चल कि‍छु फेकि‍तो चल
बि‍चो-बीच तूँ चलि‍ते चल।
चल रे जीवन चलि‍ते चल।
समए संग चल
ऋृतु संग चल
गति‍ संग चल
मति‍ संग चल।
गति‍-मति‍ संग चलि‍ते चल।
चल रे जीवन चलि‍ते चल।
गति‍ये संग लक्ष्‍मी चलै छै
सरस्‍वती मति‍ये चलै छै।
वि‍श्वासक संग अशो चलै छै
तही बीच जि‍नगीओ चलै छै।
साहससँ संतोष साटि‍-साटि‍
धीरज धारण करि‍ते चल।
चल रे जीवन चलि‍ते चल।
टुटए ने कहि‍यो सुर-ताल
हुअए ने कहि‍यो जि‍नगी बेहाल।
जहि‍ये समटल जि‍नगी चलतै
बनतै ने कहि‍यो समए काल।
बूझि‍ देखि‍ तूँ चलि‍ते चल
चल रे जीवन चलि‍ते चल।
की लऽ कऽ आएल एतए,
की लऽ कऽ जाइत अछि?
सभ कि‍छु एतए छोड़ि‍-छाड़ि
जस-अजस लऽ पड़ाइत अछि‍।
नि‍खरि‍-नि‍ख‍रि‍ कऽ चलि‍ते चल।
चल रे जीवन चलि‍ते चल।
      ))((

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